इस आर्टिकल में हम जानेंगे successful motivational story in hindi? सफल होने का मंत्र क्या है?
नमस्कार दोस्तों इस लेख में जानेंगे कि जीवन में सफल कैसे बने? सफलता का क्या मतलब है? और सफल होने के क्या मंत्र हो सकते हैं? “सतत प्रयास और सकारात्मक सोच” यह महत्वपूर्ण तत्व हैं जो आपको सफलता की ओर ले जा सकते हैं।सफलता प्राप्त करने के लिए और भी कई मंत्र और उपाय हो सकते हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सफलता का मंत्र केवल एक वाक्य या शब्द में नहीं छिपा होता है। सफलता के लिए एक समृद्ध और नियमित जीवनशैली के साथ अनुशासन, मेहनत, समर्पण, निरंतरता, और सकारात्मक सोच आवश्यक होते हैं। हम इन सब बातों को एक बेहद ही आसान तरीके से समझने का प्रयास करेंगे जो आपके लिए निश्चित ही उपयोगी साबित होगा।
successful motivational story in hindi
सामान्य रूप से, सफलता एक लक्ष्य या उद्देश्य को पूरा करने में समर्थता का संकेत देती है। यह एक अवसर या परिस्थिति के निर्धारित मानकों या मापदंडों के अनुसार मापी जा सकती है। उदाहरण के लिए, एक व्यापारी के लिए सफलता उसके व्यापार के लाभ, बढ़ती कारोबार की मात्रा या संचारित लक्ष्यों के साथ जुड़ सकती है। एक खिलाड़ी के लिए सफलता एक प्रतिस्पर्धी खेल में विजय प्राप्त करने, अपने कौशल को सुधारने, और खुद को अगले स्तर पर ले जाने के माध्यम से प्रकट हो सकती है।
सफलता की परिभाषा व्यक्ति से व्यक्ति भिन्न हो सकती है। किसी व्यक्ति के लिए सफलता आर्थिक स्थिरता, पारिवारिक सुख, सामाजिक मान्यता या आंतरिक संतुष्टि का परिणाम हो सकती है, जबकि किसी दूसरे व्यक्ति के लिए सफलता संघर्ष, समाजसेवा, या अद्वितीयता का परिणाम हो सकती है।

I.Q. (INTELLIGENCE QUOTIENT)
एक क्षमता होती है जिसे बोलते हैं I.Q. (INTELLIGENCE QUOTIENT)। I.Q. का सरल भाषा में मतलब है कि आप कितने तार्किक व्यक्ति है आप कितने बौद्धिक व्यक्ति हैं आपकी जो तार्किकता है आपकी जो चेतना, आपकी रिजनिंग है यह क्षमता कितनी है आपके अंदर, दुनिया के इतिहास में कई लोगों ने माना सबसे सफल व्यक्ति वही है जिसके अंदर तार्किक क्षमताये ज्यादा है, कुछ हद तक यह बात ठीक भी है क्योंकि अगर आप तार्किक ज्यादा हैं तो आपकी डिसीजन मेकिंग कैपेसिटी बेहतर होगी, जोकि निर्णय क्षमता में होनी भी चाहिए।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आप किसी जिले के कलेक्टर हैं, कलेक्टर होने के नाते बहुत सारे फैसले करने होते हैं और आपका फैसला आपके बारे में नहीं पूरे जिले के जिंदगी के बारे में है 15 18 साल की सर्विस के पश्चात आप पूरे राज्य के स्तर पर प्रभावित करने लगते हैं समाज को और यदि आप सेंट्रल की डेपुटेशन पर आ गए और 25 28 साल की सर्विस कर चुके हैं तो आपकी कलम पूरे देश की नियति तय करती है इसलिए बहुत जरूरी है कि आप सोच समझकर फैसले करें| आपका चीजों को समझने का, फैसला करने का जो प्रोसेस है उसमें जो तटस्था चाहिए, ऑब्जेक्टिविटी चाहिए वो एकदम ठीक हो ऑब्जेक्टिविटी का मतलब है कि आप फैसले इसलिए नहीं करते कि आपका मूड अच्छा नहीं था आप की विचारधारा यह है आप में यह भावना आ गई अचानक, नहीं, आप फैसला करेंगे तथ्यों/ अरगुमेंट के आधार पर, और दुनिया के बाकी देशों में कैसा सिस्टम चल रहा है बाकी राज्यों में कैसे चल रहा है उसको स्टडी करेंगे उन सब के बेस पर आपको जो अच्छा लगेगा या अच्छे अच्छों को मिलाकर जो बेस्ट लगेगा अपने समाज के लिए आप उसको अप्लाई करेंगे|
कहने का तात्पर्य यह है कि बिना इंटेलिजेंस की सुपेरियरटी के सचमुच कम से कम सिविल सेवाओं में ना तो जा सकते हैं शानदार परफॉर्म कर सकते हैं कुछ ऐसे लोग सहयोग से किसी तुक्के से सेलेक्ट हो भी गए कभी तो वह अच्छे परफॉर्मर नहीं हो पाते|
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I.Q. अच्छा होना किसके लिए जरूरी है जैसे आप को फिलॉस्फर बनना हो तो बहुत अच्छी IQ के बिना नहीं बन सकते किसी का IQ अगर 90 से 110 के बीच में है तो सामान्य बुद्धि का है ठीक है मतलब, यदि आप आईएएस बनना चाहते हैं जनरली हम मानते हैं कि120 या 140 के बीच में IQ है तो ठीक है बढ़िया है, 140 प्लस आइक्यू किसी का हो तो वह गिफ्टेड व्यक्ति है बड़ी बात है किसी किसी का आईक्यू 200 भी होता है 1 या 2 व्यक्तियों का ढाई सौ से ऊपर भी देखा गया है इतिहास में इतिहास में, जोकि बहुत रेयर बात है यह वही व्यक्ति हैं जो 5 साल की उम्र में 12वीं पास कर ली, 8 या 9 साल की उम्र में किस यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे हैं कभी सुना है आपने ऐसा ये वो बच्चे हैं
आइक्यू में दिक्कत यह है कि हमारे चाहने से नहीं बढ़ेगा, आइक्यू में बड़ी मात्रा इस बात की है कि आपको जेनेटिकली, बायो लॉजिकली कितना आईक्यू मिला, एक रेंज के अंदर थोड़ा बहुत हम कोशिश से बढ़ा सकते आइक्यू को ,लेकिन उसमें अभूतपूर्व परिवर्तन करना चाहे या आमूलचूक बदलाव करना चाहे तो नहीं कर सकते
यदि आपको मैथमेटिशियंस बनना हो तो आपने रामानुजन का नाम सुना होगा है ना रामानुजन होने की शर्त है कि आपका आइक्यू बहुत खतरनाक स्तर पर होना चाहिए, बड़ा साइंटिस्ट बनना हो डॉ एपीजी अब्दुल कलाम जैसा , या न्यूटन बन्ना हो या न्यूटन बनना हो ,आइंस्टीन बनना हो , तो आपका आई क्यू चाहिए बहुत ही खतरनाक | फिलॉस्फर बनना हो जैसे हम भारत में शंकराचार्य का जिक्र करते हैं 32 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई इतनी उम्र में तो लोगों के यूपीएससी के अटेम्प्ट खत्म नहीं होते, ऐसी फिलॉसफी देके गए हैं मतलब 1500 साल होने वाले हैं कोई हिला नहीं पा रहा है अब तक, आइक्यू कितना रहा होगा उनका उस समय आइक्यू टेस्ट नहीं होते थे अगर होता तो दो सौ ढाई सौ का मामला रहा होगा उनका|
जब आई क्यू बहुत तेज होता है ना तब आप इतना तार्किक सोचते हैं इतना दूर का सोचते हैं इतना तेज सोचते हैं फिर आपके साथ काम करने में सबको मजा आता है प्रधानमंत्री ऐसा क्यों नहीं चाहेंगे कि उनके पास ऐसा चीफ सेक्रेटरी हो ऐसा कैबिनेट सेक्रेटरी हो जिसका आईक्यू बहुत शार्प हो बात कहने से पहले ही समझ जाता हो, बात पूरी होते होते सॉल्यूशन सामने रख देता हो, प्रधानमंत्री कह रहे हैं मैं 4 फैक्टर सोच पा रहा हूं वह बोले नहीं सर 18 फैक्टर्स है और इनके बीच में यह मैट्रिक्स है और यह सलूशन बेस्ट है प्रधानमंत्री गदगद है वाह यार, क्या आदमी है तो एक चीज सफलता में आइक्यू है तो एक पक्ष यह हो गया|
इमोशनल इंटेलिजेंस
एक शब्द आपने सुना होगा इमोशनल इंटेलिजेंस आजकल लोग इसे EQ (Emotional Quotient ) भी कहने लगे हैं यह क्या चीज होती है आपने कभी गौर किया है इमोशनल QUOTIENT सुनकर कुछ लोग सोचते हैं कि जो जितना ज्यादा इमोशनल है उसमें उतना ज्यादा इमोशनल QUOTIENT है ऐसा बिल्कुल नहीं है हरगिज़ नहीं है अगर आप बहुत ही इमोशनल हैं और आपकी पलकों पर आंसु हमेशा तैयार रहते हैं तो इसका मतलब है कि आप मे इमोशनल QUOTIENT कम है ना कि ज्यादा, इमोशनल इंटेलिजेंस का मतलब रोना नहीं है, मैं नहीं रोऊँगा यह भी नहीं है यह दोनों मूर्खताये हैं बात बात पर रोना कमजोरी का लक्षण है कभी नहीं रोऊँगा यह जबरदस्ती ओढ़ी हुई पाली हुई मर्दानगी का लक्षण है जिसकी कोई कीमत नहीं रत्ती भर वैल्यू नहीं|
इमोशनल इंटेलिजेंस का एक मतलब होता है अपने जो इमोशंस हैं उनको समझ पाना, बारीकी से समझना और दूसरा उनको जितना कंट्रोल करने की जरूरत है इतना कंट्रोल कर पाना इसकी क्षमता, जितना करने की जरूरत है जबरदस्ती नहीं, कभी कभी खुद को ढीला छोड़ देना चाहिए कि रोने का मन कर रहा है तो रो लो| अपने इमोशंस को समझना उन्हें मैनेज करना और यदि इमोशंस बोझ बन रहे हैं तो उस बोझ से मुक्त होना और यही काम दूसरों के लिए कर पाना, दूसरों के इमोशंस को समझना, उनकी इमोशंस को उतना कंट्रोल करना जितना जरूरी है और जरूरी है तो उनको उनके इमोशन के गिरफ्त से मुक्त करना, ये किसी के अंदर अगर आ गया ना तो कमाल कर देता है
आजकल कुछ लोग इसी के एक हिस्से का एक नया नाम रखते हैं जिसको बोलते हैं एडवर्सिटी QUOTIENT, इसका मतलब यह होता है कि जीवन में कठिनाइयां तो आती हैं उन कठिनाइयों में अपने आप को संभालने की क्षमता | यदि आप यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं तो आप जिस यात्रा पर निकले हैं यह आसान यात्रा नहीं है आसान यात्रा होती है 2 दिन 4 दिन 10 दिन पढ़ लिए हो गया बात खत्म, यह यात्रा तो 2 साल लंबी यात्रा है और बहुत से ऐसे क्षण आएंगे कि सब कुछ खत्म हो गया, आप कितने ही बड़े ती तीस मार खां हो, कितने बड़े तोप हो आप, बीच-बीच में ऐसे क्षण जरूर आएंगे कि आप समझेंगे कि नहीं हो पाएगा, कभी घर में कुछ हो जाएगा, कभी कोई नजदीकी व्यक्ति है उसे कुछ हो जाएगा, कभी आपने कुछ पढ़ा वह समझ में नहीं आ रहा बड़ी कोशिश कि नहीं समझ में आ रहा, किसी बात से एंजाइटी हो गई, कभी सोशल मीडिया पर आप के खिलाफ कुछ लिख दिया, अजीब सी स्थिति हो गई, यह सारी चीजें आप को मजबूत करने के लिए आती हैं इन हर स्थिति को समझने के लिए सीखने का मौका है
इमोशनल इंटेलिजेंस में जो चीजें पर गौर करना है एक चीज हमेशा ध्यान रखना है कि इग्नोर करने की कला विकसित कर लीजिए, देखिए जिंदगी में इतना तनाव है और तनावो को आमंत्रित मत कीजिए, तैयारी पर फोकस कीजिए, जो जरूरी है जिंदगी पर वह करते रहिए, अनावश्यक युद्ध मत लड़िये और अपनी इमोशनल स्ट्रैंथ को बचा कर रखना है और वह तभी होगा जब आप बहुत सारी चीजों को इग्नोर कर सकें, कोई आपका मजाक बना रहा है क्लास में कुछ बोल दिया, लड़ना नहीं है इग्नोर करना है|
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आप किसी को पसंद करते हैं और उसने किसी और को पसंद कर लिया, तो ये नहीं कि तेजाब की बोतल लेकर उसके पीछे पीछे घूम रहे हैं यह तमाशा नहीं करना है, यह गधेपन का चरम लक्षण है जीवन में सीखने के लिए बहुत जरूरी चीज है यह सीखना कि मुझे रिजेक्ट किया जा सकता है, रिजेक्शन को सीखना बहुत जरूरी है, झेलना जरूरी है जिससे जमीन पांव पर रहते हैं,लेकिन इस वजह से किसी को रिजेक्ट मत करना कि मैं सिखा रही हूं या सिखा रहा हूं, ऐसा नहीं है अपना फैसला अपने हिसाब से करना चाहिए, लेकिन रिजेक्शन का दर्द और उस दर्द को अब जैसे आपको किसी ने रिजेक्ट किया आपके पास 3 तरीके हैं, एक तरीका है आप कहें कि छोडूंगा नहीं, अब रात दिन मैं तेरे बारे में ही सोचूंगा, अब मैं अपने घर से सुबह उतने ही टाइम निकलूंगा जब तू निकलेगी या निकलेगा, वही वही जाऊंगा जहां-जहां तू जाएगी या जाएगा, मैं तेरा बॉडीगार्ड हूं अब से, सुबह तेरे पीछे पीछे आऊंगा शाम तक पीछे पीछे घूमूँगा क्योंकि मैं बेरोजगार हूं, और मेरे दिमाग में इतनी आजादी नहीं है की कुछ और सोच सकूं जीवन में, मैं तुम्हारा बंधुआ मजदूर हूं मैं तुम्हारा गुलाम हूं मैं तुम्हारा स्लेव हूं, और ऐसे ही मूर्खों ने ऐसे गीत लिखें की “ जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे, तुम दिन को अगर रात कहो तो रात कहेंगे” अजीब बात है तुम दिन को रात कहो मैं भी रात कहूं, मैं गधा हूं क्या कि दिन को रात कहूंगा|
successful motivational story in hindi
वही शाहिर वाली बात “ ले दे के अपने पास एक नजर ही तो है, क्यों देखे जिंदगी को किसी की नजर से हम” अपनी नजर से देखेंगे, क्यों किसी के पीछे पागल होंगे, आपने किसी को पसंद किया उसने मना कर दिया बात वहीं खत्म, पूरी ग्रेसियसनेस के साथ, पूरी डिग्निटी के साथ डिजेक्शन को एक्सेप्ट कीजिए कि चलिएठीकआपने मुझे मना कर दिया सॉरी ,आज के बाद आपको कभी परेशान नहीं करूंगा हां याद रहेगा, और जीवन में कभी मिलेंगे तो एक मित्र के तरह मिलेंगे|
दूसरा तरीका ये है की जैसे एक फिल्मी गीत में कहा गया है “तुम मुझको ना चाहो तो कोई बात नहीं, किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी” अरे यार तुम ठेकेदार हो क्या, तुम मुझे नहीं चाह रही कोई बात नहीं, जिंदगी भर कुंवारे बन कर रहो/ कुवारन बन के रहो तो ठीक है किसी और को चाहा तो मैं नाराज हो जाऊंगा, मैं अलाउद्दीन खिलजी हूं क्या, अजीब बात है काहे खिलजी बनके घूम रहे हो | इससे अच्छा क्या है चलिए जब आप किसी और के साथ होंगी तो मैं बधाई देने आऊंगा|
खुश रहने की वजह ढूंढने पड़ेंगे जिंदगी में वह कोई आपको देगा नहीं , जिसने इग्नोर करना सीख लिया उसकी जिंदगी बड़ी आसान है, अपने इमोशन को मैनेज करना सीख लिया, उसकी जिंदगी बड़ी आसान है
अपने इमोशन को मैनेज करना सीख लिया, इमोशन को मैनेज करने का मतलब क्या है जब-जब डिमोटिवेटेड हो, खुद को मोटिवेट करने की क्षमता हो, मोटिवेशन के लिए नहीं करना है की ठेकेदार ढूंढ रहे हो बाहर जाकर, जी मुझे मोटिवेट कर दो प्लीज कुछ मोटिवेशन के ठेकेदार होते हैं वह आपके अंदर पंप से हवा भरेंगे आपको गुब्बारा बनकर उड़ेंगे आपको लगता है सारा जहान मेरा है तब तक हीलियम निकल गई वह गैस निकल गई वह हवा निकल गई और धुम्म से नीचे आ जाते हैं वह मोटिवेशन जो 2 घंटे का होता है वह जिंदगी में काम नहीं आता वह केवल इंजेक्शन की तरह है बहुत परेशान है इंजेक्शन लगाया ठीक हो गए थोड़ा सा, दौड़ रहे हैं ग्लूकोस खाया शुगर लेवल ठीक हो गया उतना ठीक है अंत में तो आपको खुद को खुद मोटिवेट करने की क्षमता डिवेलप करनी पड़ेगी और वह इमोशनल इंटेलिजेंस से आती है